Vijay Diwas 2022 : देश मना रहा विजय दिवस की 51वीं वर्षगांठ

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नई दिल्ली। Vijay Diwas 2022 :  16 दिसंबर 1971, यह ऐसी तारीख है, जिसे भूला नहीं जा सकता है। इसी दिन भारत ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटाई थी और विजय दिवस के रूप में जीत को मनाना शुरू हुआ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विजय दिवस 2022 के अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया।

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वहीं, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और भारतीय नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने विजय दिवस 2022 (Vijay Diwas 2022) के अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया। विजय दिवस 2022 के अवसर पर बांग्लादेश के उप उच्चायुक्त अंदलीब इलियास ने कोलकाता में बांग्लादेश के उप उच्चायोग में देश का झंडा फहराया।

क्यों मनाते हैं विजय दिवस

1971 में पाकिस्तान और भारत के बीच जंग हुई थी। इस जंग में पाक सेना को करारी हार मिली और 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण करना पड़ा। युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र हो गया। आज यही क्षेत्र स्वतंत्र देश बांग्लादेश बन गया है।

पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारतीय पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।

16 दिसंबर को ही क्यों मनाते हैं विजय दिवस ?

दरअसल, 16 दिसंबर की शाम ही जनरल नियाजी ने आत्मसमर्पण के कागजों पर हस्ताक्षर किए थे। इसी दिन सुबह जनरल जैकब को मानेकशॉ का संदेश मिला था कि आत्मसमर्पण की तैयारी के लिए तुरंत ढाका पहुंचें। उस दौरान जैकब की हालत बिगड़ रही थी।

इस जंग में उस समय तक भारत के अपने कई सैनिकों को खो दिया था और हमारे पास केवल तीन हजार सैनिक ही बचे थे जो कि ढाका से 30 किलोमीटर दूर थे। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तानी सेना के कमांडर के पास ढाका में 26 हजार 400 सैनिक थे। लेकिन भारतीय सेना ने युद्ध पर पूरी तरह से पकड़ बना ली थी। ढाका में उस शाम नियाजी के कमरे में पाकिस्तानी कमांडर ने आत्मसमर्पण के दस्तावेजों पर साइन कर दिया।

रो पड़े थे पाकिस्तानी कमांडर

आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर दस्तखत करने के बाद नियाजी ने अपनी रिवाल्वर जनरल अरोड़ा के हवाले कर दी। नियाजी की आंखों में आंसू थे। रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोग नियाजी की हत्या करने की मांग कर रहे थे। लेकिन भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने नियाजी को सुरक्षित वापस भेजा। भारत की इस जीत की खबर से उस दौरान इंदिरा गांधी ने लोकसभा में युद्ध में भारत की जीत की घोषणा की, जिसके बाद सदन समेत पूरा देश जश्न में डूब गया।

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