देहरादून: Uttarakhand Politics उत्तराखंड में नए जिलों के गठन की मांग लंबे समय से चल रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे लेकर कहा है कि नए जिलों की मांग काफी लंबे समय से चली आ रही है। इसे लेकर हम शीघ्र ही पूरे प्रदेश के अंदर जनप्रतिनिधियों से चर्चा करेंगे। चर्चा के दौरान यह देखा जाएगा कि उत्तराखंड में कहां-कहां पुनर्गठन हो सकता है, कहां वास्तव में इनकी आवश्यकता है। हम इस चर्चा को आगे बढ़ाएंगे, इस दिशा में आगे बढ़ेंगे।
Uttarakhand @ 25-Adarsh Champawat में CM धामी ने किया प्रतिभाग
लगातार घोषणाएं करती आ रही हैं भाजपा और कांग्रेस
एक बार फिर उत्तराखंड में नए जिलों के गठन का मामला राजनीतिक मुद्दा बनकर उभर गया है। पिछले 10 वर्षों से नए जिलों के गठन को लेकर भाजपा और कांग्रेस लगातार घोषणाएं करती आ रही हैं, मगर राज्य को बने 21 वर्ष हो गए, नए जिलों के गठन को लेकर गंभीरता किसी पार्टी में नजर नहीं आई।
2011 में स्वतंत्रता दिवस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डा रमेश पोखरियाल निशंक ने चार नए जिलों के गठन की घोषणा की थी। तब यमुनोत्री, कोटद्वार, रानीखेत व डीडीहाट को नए जिले बनाने की घोषणा की गई थी, लेकिन फिर निशंक मुख्यमंत्री पद से हट गए और भुवन चंद्र खंडूड़ी मुख्यमंत्री बने। नए जिलों के गठन का शासनादेश भी जारी हुआ लेकिन 2012 में कांग्रेस के सत्ता में आने पर मसला लटक गया।
चुनाव से ठीक पहले हरीश रावत ने नए जिलों के गठन (Uttarakhand Politics) का इरादा जाहिर किया। उन्होंने नौ जिले बनाने की बात कही, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 2021 में विधानसभा सत्र के दौरान नए जिलों कर मामला उठा, मगर सरकार से कोई स्पष्ट जवाब मिला नहीं।
हरीश रावत ने कहा कि उनके मुख्यमंत्री रहते नौ नए जिले बनाए जा रहे थे, लेकिन एक मंत्री के इस्तीफे पर अड़ जाने के कारण ऐसा कर नहीं पाए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कुमाऊं दौरे के दौरान नए जिलों के गठन के लिए पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट की बात कही थी।