Earthquake in Uttarakhand: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भूकंप के झटके, 4.6 रही तीव्रता

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पिथौरागढ़: Earthquake in Uttarakhand उत्तराखंड का पिथौरागढ़ जिला बुधवार सुबह भूकंप से थर्रा उठा। लोग घरों से बाहर निकल आए। काफी देर तक उच्च हिमायल का क्षेत्र कांपता रहा। डर के मारे काफी देर तक घरों में नहीं लौटे। हालांकि अभी तक कहीं से किसी नुकसान की सूचना नहीं है।

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सीमांत क्षेत्र में बुधवार सुबह 10:03 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए

सीमांत क्षेत्र में बुधवार सुबह 10:03 मिनट पर भूकंप के झटके (Earthquake in Uttarakhand) महसूस किए गए। नेपाल सीमा, जौलजीबी, धारचूला में झटका तेज रहा। इसका केंद्र पिथौरागढ़ जिले की तहसील डीडीहाट के अस्कोट थाना क्षेत्र के अंतर्गत रहा। साथ ही पिथौरागढ़ से 20 की दूरी पर था केंद्र था।

मौसम विभाग के मुताबिक भूकंप की तीव्रता 4.6 मैग्नीट्यूड व गहराई पांच किमी रही। भूकंप का प्रभाव उप्र के मुरादाबाद, लखीमपुर खीरी, हरदोई, इटावा के अलावा भारत से लगे नेपाल के कई हिस्सों तक रहा। जिला आपदा विभाग ने बताया कि अभी तक कहीं से किसी नुकसान की सूचना नहीं है।

भूकंप का केंद्र बनता जा रहा उत्तराखंड

वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया के मुताबिक हिमालयी क्षेत्र में लंबे समय से धरती के भीतर जमा ऊर्जा बाहर नहीं निकली है। ये ऊर्जा इन्हीं फॉल्ट्स के साथ भूकंप के रूप में बाहर निकलती है। भूवैज्ञानिक कारणों चलते ही उत्तराखंड में थ्रस्ट व फॉल्ट्स अब पहले से कहीं ज्यादा सक्रिय रहने लगे हैं।

मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर बसे मुनस्यारी (पिथौरागढ़) के लिए आने वाले दौर में स्थिति खतरनाक हो सकती है। यह भी चेताते हैं कि यदि धरती में गहराई 20 किमी से ऊपर होती तो परिणाम घातक होते।

साउथ अल्मोड़ा थ्रस्ट तक झटके खतरनाक

प्रो. कोटलिया की मानें तो साउथ अल्मोड़ा थ्रस्ट को असक्रिय एरिया माना जाता रहा है। मगर सुयालबाड़ी (नैनीताल) से कालामुनि (मुनस्यारी) तक इसकी सक्रियता ने भविष्य के लिए खतरे के संकेत भी दिए हैं।

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