नई दिल्ली। Rajasthan Political Crisis: राजस्थान में राजनीति का थियेटर जारी है। दरअसल कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में जैसे ही अशोक गहलोत को उम्मीदवार बनाने की बात सामने आई वैसे ही राजस्थान में उठापटक शुरू हो गई। गहलोत यदि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे तो उन्हें मुख्यमंत्री का पद त्यागना होगा और उनके बाद इस पद के लिए सबसे आगे सचिन पायलट का ही नाम है। राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के तौर पर संभावित सचिन पायलट का नाम सुनते ही मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भरोसेमंद विधायकों ने रविवार को कांग्रेस हाई कमान से बगावत कर दी। दरअसल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर गहलोत के चुने जाने की बात हो रही थी। ऐसे में राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए सचिन पायलट का नाम सुर्खियों में है।
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अशोक गहलोत- तीसरी बार राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को संभालने वाले अशोक गहलोत का नाम कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे है। दिसंबर 2018 में राज्य की सत्ता में कांग्रेस पार्टी के आने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए सचिन पायलट के साथ गहलोत को टक्कर लेनी पड़ी थी। 2020 में जब पायलट ने गहलोत से बगावत की थी तब भी उन्होंने अपनी सरकार को बचाने में सफलता हासिल की थी।
सीपी जोशी- राजस्थान मुख्यमंत्री पद के लिए अशोक गहलोत की पहली पसंद ‘सीपी जोशी’ हैं। जोशी राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष हैं। बता दें कि रविवार को गहलोत के भरोसेमंद विधायकों ने उनके घर पर जाकर अपना इस्तीफा सौंप दिया। सीपी जोशी AICC के जनरल सेक्रेटरी व केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं ।
सचिन पायलट- अशोक गहलोत के कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए सचिन पायलट का ही नाम सबसे आगे है।2018 के दिसंबर में जब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत हुई थी तब पायलट ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी पेश किया था। लेकिन उन्हें उपमुख्यमंत्री का कार्यभार मिला। 2020 में गहलोत के खिलाफ बगावत करने पर पायलट को उपमुख्यमंत्री पद और PCC अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर दिया गया।
अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड्गे: पार्टी के हाइकमान की ओर से विधायकों से बात करने के लिए AICC के जनरल सेक्रेटरी अजय माकन और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड्गे को जयपुर भेजा गया था।
शांति धारीवाल: अशोक गहलोत के कट्टर समर्थकों में से एक धारीवाल राज्य में शहरी विकास व आवास मंत्री हैं। उन्होंने रविवार को अपने आवास पर गहलोत के भरोसेमंद विधायकों की एक मीटिंग आयोजित की थी।
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प्रताप सिंह खाचरियावास: धारीवाल की तरह ही खाचरियावास भी खुलकर गहलोत सरकार की समर्थन करते हैं। उन्होंने तो साफ कहा है कि गहलोत को मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया जाना चाहिए। 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले उन्हें सचिन पायलट का करीबी माना जाता था। हालांकि यह समीकरण 2020 में बदल गया और खाचरियावास पूरी तरह से गहलोत के समर्थक हो गए।
गोविंद सिंह दोतासरा: जाट नेता और राजस्थान प्रदेश (Rajasthan Political Crisis) कांग्रेस प्रमुख दोतासरा हमेशा गहलोत के साथ होते हैं। उन्हें राज्य में उप मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा है।
संयम लोढ़ा: संयम लोढ़ा पहले शख्स है जिन्होंने रविवार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि पायलट कैंप से कोई मुख्यमंत्री चुना जाता है तो यह राज्य सरकार को गिरा सकती है। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पक्ष लेते हुए कहा था कि वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। उन्होंने गहलोत को ‘आत्मा’ बताया और कहा कि यदि वे मुख्यमंत्री नहीं रहते हैं, तो आगामी विधानसभा चुनाव जीतने में कठिनाई आएगी।
इनके अलावा महेश जोशी और महेंद्र चौधरी, राजेंद्र गूढ़ा, बाबू लाल नागर, सुभाषगर्ग, धर्मेंद्र राठौड़ के नाम भी हैं जो राज्य में गहलोत सरकार की जगह किसी और को नहीं देना चाहते हैं।
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