नई दिल्ली: Mohammad Zubair धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किए पत्रकार और ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर को आज दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया। मोहम्मद जुबैर की तरफ से मामले की पैरवी एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने की। एडवोकेट ग्रोवर ने कहा कि मेरे मुवक्किल के खिलाफ जो आईपीसी की धारा 153ए और 295 लगाई गई हैं उसमें क्रमश : अधिकतम तीन वर्ष और दो वर्ष की सजा का प्रावधान है। साथ ही पुलिस ने जिस जिस ट्वीट का जिक्र किया है वह 2018 का है। जुबैर की वकील ने कहा कि यह कुछ गुमनाम ट्वीट है, एक ट्वीट जो रिकॉर्ड के अनुसार, मार्च 2018 का है। ट्वीट किस बारे में है? कम से कम इसके कुछ हिस्से हैं जिन्हें मैं बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही हूं। एडवोकट ने कहा कि पब्लिक प्रोसिक्यूटर के अनुसार मेरे मुवक्किल ने इमेज को ए़डिट किया है। जुबैर के वकील ने दलील दी कि एक फिल्म के सीन के आधार पर उनके मुवक्किल को गिरफ्तार किया गया और अब रिमांड मांग रहे हैं। वहीं, दिल्ली पुलिस ने अदालत में कहा कि मोहम्मद जुबैर ने प्रसिद्धि पाने की कोशिश में धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए कथित रूप से विवादास्पट ट्वीट का इस्तेमाल किया।
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‘यह फिल्म बैन नहीं है, सबने देखी है’
जुबैर (Mohammad Zubair) की वकील ने कहा कि यह तस्वीर 1983 में बनी एक फिल्म ‘किसी से ना कहना’ की है। ऐसी कोई एडिटिंग नहीं है जो आरोपी या किसी और ने किया हो। वकील ने कहा कि इसमें फारुख शेख और दीप्ति नवल हैं। फिल्म में एक नवविवाहित जोड़ा है और वे होटल जाते हैं। इस फिल्म को सेंसर से सर्टिफिकेट मिला था और ये फिल्म बैन नहीं हुई थी और सबने देखी थी। दूसरी तरफ आईएफएसओ के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने कहा कि ट्वीट काफी पुराना होने से फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आपको सिर्फ उसे रीट्वीट कर किसी को टैग कर देना है और वह नया बन जाता है।
हनीमून होटल को हनुमान होटल बना दिया
जुबैर ने वकील ने दलील दी कि ऐसे कई ट्विटर हैंडल हैं जो इस बात का जिक्र रहे हैं कि हनीमून होटल को हनुमान होटल बना दिया गया है। कृपया मेरे द्वारा रिकॉर्ड किए गए ट्वीट्स देखें। उन्होंने कहा कि इसी से सोशल मीडिया काम करता है। चाहे जो भी हो, यह एक स्वतंत्र देश है, लोग जो चाहें कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल ने कुछ नहीं किया है। एडवोकेट ग्रोवर ने कहा कि यह तय कानून है कि सेक्शन 153A लगाने के लिए दो समुदायों का होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला बेतुकेपन पर आधारित है।
किसी दूसरे मामले में पूछताछ के लिए बुलाया
जुबैर (Mohammad Zubair) की तरफ से अदालत में कहा गया कि मुझे किसी अन्य मामले में पूछताछ के लिए बुलाकर किसी दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया। जुबैर की तरफ से कहा गया कि यह एफआईआर एक पुलिस अधिकारी ने दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा, ‘मैं जानना चाहता हूं कि क्या पुलिस अधिकारी जानता है कि वह क्या कर रहा है।’ जुबैर ने कहा कि मुझे देर रात एफआईआर मिली। सोशल मीडिया पर सक्रिय मेरे जूनियर्स ने एक न्यूज चैनल से रिमांड कॉपी डाउनलोड की। मुझे यह पुलिस से नहीं मिला।
मेरे नाम की वजह से बनाया जा रहा निशाना?
मेरे ट्वीट में कुछ भी नहीं है, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है जो आपत्तिजनक हो यहां तक कि उसके लिए भी जो हिंदू धर्म को मानता है। इसमें क्या आपत्तिजनक है? जुबैर की तरफ से कहा गया कि अगर यह वही ट्वीट है, तो कई अन्य लोगों ने भी कहा है, उनमें और मेरे बीच एकमात्र अंतर मेरे नाम, मेरे काम का है? क्या यही वजह है कि मुझे निशाना बनाया जा रहा है?
आपत्तिजनक ट्वीट मामले में एक दिन पहले हुई थी गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को एक हिंदू देवता के खिलाफ 2018 में ‘आपत्तिजनक ट्वीट’ करने से जुड़े मामले में मंगलवार को यहां एक अदालत में पेश किया। पुलिस ने जुबैर की हिरासत में पूछताछ की एक दिन की अवधि समाप्त होने के बाद उसे मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया के समक्ष पेश किया।
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