नई दिल्ली। Bulldozer Action: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की तरफ से दलील दी गई। सरकारी पक्ष की तरफ से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जहां इस कार्रवाई को सही ठहराया है वहीं याचिकाकर्ता के वकील सीयू सिंह ने इस पर रोक लगाने की मांग की है। जस्टिन एस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की वकेशन बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से हालिया अतिक्रमण अभियान को लेकर जवाब तलब किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी कार्रवाई नियम के अनुसार ही चलनी चाहिए।
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अनधिकृत संरचनाओं को हटाने में कानून की प्रक्रिया का सख्ती से पालन हो: HC
सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि अनधिकृत संरचनाओं (Bulldozer Action) को हटाने में कानून की प्रक्रिया का सख्ती से पालन हो। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और प्रयागराज व कानपुर विकास अथॉरिटी से इस मामले में तीन दिन के भीतर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सब कुछ निष्पक्ष दिखना चाहिए। अब इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में याचिकाकर्ता के अभियान रोकने की मांग को नहीं माना और पथराव के आरोपियों के घरों को ढहाने के लिए बुलडोजर के कथित इस्तेमाल पर राज्य सरकार से जवाब मांग लिया है।
जानें- याचिकाकर्ता के वकील ने क्या दलील पेश की
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील सीयू सिंह ने बताया कि विध्वंस का कारण यह बताया गया कि हिंसा में शामिल प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। सिंह ने आगे तर्क दिया कि विध्वंस बार-बार होता रहता है, यह चौंकाने वाला और भयावह है। यह आपातकाल के दौरान नहीं था, स्वतंत्रता पूर्व युग के दौरान नहीं था। ये 20 साल से अधिक समय से खड़े घर हैं और कभी-कभी ये आरोपी के नहीं बल्कि उनके वृद्ध माता-पिता के भी होते हैं।
जानें- सरकारी पक्ष का तर्क
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि जहांगीरपुरी विध्वंस मामले में किसी भी प्रभावित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर नहीं की। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार की तरफ से पहले ही नोटिस दिया गया था। किसी के खिलाफ गलत कार्रवाई नहीं हुई। सरकार किसी खास समुदाय को टारगेट नहीं कर रही।