Union Budget 2022: खाद्यान्न भंडारण और राशन वितरण में राज्यों की बढ़ेगी भूमिका

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नई दिल्ली। Union Budget 2022:  आगामी आम बजट में खाद्यान्न भंडारण और राशन वितरण व्यवस्था में राज्यों की भूमिका को और बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। इससे जहां अनाज की ढुलाई और उसके रखरखाव का खर्च घटाने में मदद मिलेगी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत देश की 81 करोड़ जनता को बेहद रियायती दरों पर अनाज दिया जाता है। इसके लिए केंद्रीय पूल में पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में गेहूं व चावल की भारी खरीद की जाती है।

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ग्राम पंचायत स्तर पर बनाए जाएंगे गोदाम

सरकारी खरीद वाले अनाज का भंडारण उन्हीं उत्पादक राज्यों में किया जाता है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए खाद्यान्न की आपूर्ति उपभोक्ता राज्यों में करनी पड़ती है। इसमें भारी लाजिस्टिक्स खर्च होता है। लगातार बढ़ती खाद्य सब्सिडी पर काबू पाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसमें सुधार कर सकती हैं। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) ने वर्ष 1965 में जहां 13 लाख टन अनाज की खरीद की थी, वह अब बढ़कर 13 करोड़ टन से अधिक हो चुकी है।

Union Budget 2022: इसी तरह उस समय जहां मात्र 18 लाख टन अनाज राशन दुकानों से गरीबों में वितरित किया जाता था, वह इस समय बढ़कर छह करोड़ टन पहुंच गया है। खाद्यान्न प्रबंधन का यह अनूठा और भारी भरकम गणित दुनिया में कहीं और नहीं है। इस पर खर्च व खाद्य सब्सिडी सरकारी खजाने पर भारी पड़ती है। आगामी बजट में इस दिशा में सुधार के उपाय जरूर किए जाएंगे। कृषि उपज की स्थानीय खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए सभी राज्यों को खाद्य मंत्रालय की ओर से विशेष मदद मुहैया कराई जाएगी, ताकि वहां के किसानों को दूसरे राज्यों की तरह लाभ मिल सके। लेकिन इसके पहले उन राज्यों में भंडारण के बुनियादी ढांचे के विकास को तरजीह दी जाएगी।

ग्राम पंचायत स्तर भी ग्रामीण गोदामों का निर्माण किया जाएगा

इसके लिए ब्लाक स्तर के साथ ग्राम पंचायत स्तर भी ग्रामीण गोदामों का निर्माण किया जाएगा। बजट प्रावधानों में कृषि मंत्रालय की ग्रामीण गोदाम योजना को और प्रोत्साहन मिल सकता है। देश के ज्यादातर राज्यों में अनाज भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। जबकि कुछ उत्पादक राज्यों पर्याप्त है। इसके बीच संतुलन बनाने की जरूरत पर बल दिया जाएगा। ग्राम पंचायत स्तर पर अनाज की खरीद, भंडारण और राशन दुकानों के माध्यम से गरीबों को अनाज दिए जाने की समुचित चेन तैयार की जाएगी। इससे एफसीआइ पर दबाव घटेगा वहीं खजाने का बोझ कम होगा।

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