मेरठ। बालीवुड के ट्रेजेडी किंग कहे जाने वाले यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार अब इस दुनियां में नहीं रहे। जिनसे सीखकर कई अभिनेताओं ने हिंदी सिनेमा पर अपनी गजब की पहचान बनाई। बालीवुड से लेकर तमाम हस्तियों ने उनके निधन पर दुख जताया है।
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दिलीप कुमार के निधन पर देश आज शोक
सदी के महानायक से लेकर तमाम दिग्गजों ने इस बात को स्वीकारा है कि उन्हेें दिलीप कुमार से ही अभिनय का प्रेरण मिली है। दिलीप कुमार के निधन पर देश आज शोक में है। वहीं दिलीप कुमार का इस शहर से गहरा नाता जुड़ा हुआ है। दिलीप कुमार के निधन पर लोग अपनी यादें ताजा करते हुए कहते हैं कि आज भी उनकी फिल्मों के किरदार अमर हैं। मेरठ में चार बार के सांसद रहे जनरल शहनवाज खां दिलीप कुमार के अजीज दोस्त थे। बताया गया है कि वे अपने दोस्त के लिए चुनाव में वोट देने की अपील करने आते थे। उनके बुलावे पर एक बार वह चुनाव सभा में मेरठ आए थे।
चुनावी सभा होने के बावजूद शेरे ओ शायरी के शौकीन दिलीप कुमार ने अपने भाषण की शुरुआत
जिमखाना में चुनावी सभा को उन्होंने संबोधित किया था। चुनावी सभा होने के बावजूद शेरे ओ शायरी के शौकीन दिलीप कुमार ने अपने भाषण की शुरुआत कुछ इस तरह से की थी। उनका जो फर्ज है वह एहले सियासत जाने मेरा पैगाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे। जिगर मुरादाबादी का शेर पढ़कर उन्होंने नीयत साफ कर दी थी। मेरा तो प्रसिद्ध शायर कुंवर महेंद्र सिंह बेदी के साथ उनका मेरठ आगमन हुआ था। जहां पर आजकल आइआइएमटी है वहां शमीम साहब की कोठी हुआ करती थी। वहीं पर वह रुके थे।
वहीं यूपीटीए के अध्यक्ष भारत भूषण शर्मा ने बताया कि
60 के दशक में हुए आम चुनाव में वे मेरठ आए थे। और उन्होंने बुढ़ाना गेट के पास जिमखाना मैदान में आमसभा को संबोधिति किया था। भारत भूषण शर्मा कहते हैं कि वे उन दिनों कालेज में थे, और उनका बड़ा प्रशंसक थे। उनसे आम सभा के दौरान मुलाकाल आज भी मेरे जहन में हैं। वे बड़े आराम व हल्की आवाज में बात करते थे। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि ”सुभाष चंद्र बोस के सेनापति जनरल शहनवाज को विजयी बनाकर यह एहसास कराएं कि वे उनके साथ हैं।”
अभिनय के संस्थान बन चुके दिलीप कुमार ने पूरीद आन के साथ अपनी समकालीन ही नहीं, वरन आने वाले दो-तीन पीढ़ियों के अभिनेताओं को भी प्रभावित किया। “शक्ति” में उनके साथ काम कर चुके बिग बी अमिताभ बच्चन हों या बालीवुड के बादशाह शाहरूख खान अभिनय के इस “मुगल-ए-आजम” को अपना आदर्श मानते हैं। फिल्मों के माध्यम से इस “इज्जतदार” अभिनेता की राष्ट्र सेवा को केंद्र सरकार ने पूरा सम्मान देते हुए पद्मभूषण्, दादा साहब फालके अवॉर्ड प्रदान करने के साथ-साथ राज्यसभा के लिए भी मनोनीत किया।
सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से नवाजा गया
हिन्दी सिनेमा के “जुगनू” को भारत के समान ही पाकिस्तान में भी लोकप्रिय होने के कारण वहां के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से नवाजा गया। कई सुपर स्टारों और मेगा स्टारों की बालीवुड में “दास्तान” कुछ ही वर्षों में खत्म हो गई, लेकिन दिलीप कुमार के अभियन की “मशाल” सदा जलती रहेगी। उनकी प्रतिभा का एक उदाहरण उन्हें आठ बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार मिलना भी है, यह आज भी यह कीर्तिमान है। “आदमी” “मुसाफिर” है और “विधाता” को जब मंजूर होता है जिन्दगी का “मेला” खत्म हो जाता है। सात जुलाई 2021 को यूसुफ साहब भी इस “दुनिया” को छोड़कर चले गए। उन्होंने छह दशक के फिल्मी सफर में साठ से भी कम फिल्मों में काम किया, लेकिन अपनी अदाकारी के कारण वह सदा “अमर” रहेंगे।
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